हृदय की बिमारी से पिडित ७२ वर्षीय महिला पर टीएवीआर हृदय प्रक्रियाद्वारा सर्जरी

उत्तरी मुंबई में पहली सफल सर्जरी

Mumbai News:
· दोन बार स्ट्रोक और दो एंजियोप्लास्टी के इतिहास वाले उच्च जोखिम वाले रोगी को गंभीर कैल्सीफाइड महाधमनी वाल्व स्टेनोसिस का निदान किया गया था, जिससे हृदय में महाधमनी वाल्व का संकुचन हुआ। जिसके कारण चक्कर, सीने में दर्द औऱ सांस फुलने की समस्या होने लगी।
· कैल्सीफाइड एओर्टिक वाल्व स्टेनोसिस 65 वर्ष से अधिक उम्र के बुजुर्ग मरीजों में अधिक आम है। मरीज को पिछले स्ट्रोक, एंजियोप्लास्टी और कम ईएफ (इजेक्शन फ्रैक्शन) की बीमारियां थीं।
· टीएवीआर (वाल्व प्रक्रिया) के सफल प्रत्यारोपण के माध्यम से मरीज को ओपन हार्ट सर्जरी से बचाया गया, जिससे अचानक कार्डियक अरेस्ट को रोका गया। अब मरीज की सेहत काफी अच्छी हैं।
मुंबई – हदय की बिमारी से पिडीत ७२ वर्षीय महिलापर ट्रांसकैथेटर एओर्टिक वाल्व रिप्लेसमेंट (टीएवीआर) सर्जरी कराई गई हैं। यह महिला कई बिमारी से पिडीत थी। वॉक्हार्ट अस्पताल के कंसल्टेंट इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. अनुप ताकसांडे, सल्टेंट कार्डियोवास्कुलर थोरेसिक और हार्ट ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ. मयूरेश प्रधान और स्ट्रक्चरल हार्ट डिजीज इंटरवेंशन कार्डियोलॉजिस्ट टीएवीआर और टीएवीआई विशेषज्ञ डॉ. माणिक चोपडा ने मिलकर इस महिला पर सफलतापूर्वक सर्जरी की हैं।

मरीज हीरा मिश्रा को कुछ साल पहले अचानक हदय का झटका आया। २०१० औऱ २०१४ में दोन एंजियोप्लास्टी की गई। बाद में उन्हें 2018 में स्ट्रोक का पता चला, उसके बाद २०२१ में एक और स्ट्रोक हुआ। उनकी हालत तब और खराब हो गई जब पिछले वर्ष उनके हृदय के महाधमनी वाल्व में प्रगतिशील संकुचन विकसित हो गया। जांच करने पर, डॉक्टर ने पाया कि पिछले दिल के दौरे के कारण उसका इजेक्शन फ्रैक्शन (ईएफ) कम था, जिसके कारण वह दैनिक गतिविधियां नही कर सकती थी। उन्हें सितंबर और जुलाई में गंभीर चक्कर आना, निम्न रक्तचाप और सांस फूलने के कारण कई बार अस्पताल में भर्ती करना पडा। इसके बाद, उसे ३० दिसंबर २०२३ को फिर से भर्ती कराया गया। उसके बार अब वॉक्हार्ट अस्पताल के डॉक्टर ने मरीज पर टीएवीआर सर्जरी की हैं। इस सर्जरी के कारण मरीज को नई जिंदगी मिली हैं।

मिरारोड के वॉक्हार्ट हॉस्पिटल के कंसल्टेंट इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. अनूप आर ताकसांडे ने कहा, “मरीज की हालत काफी गंभीर थी। उनका बीपी लो था और सांस फूलने और चक्कर आने के गंभीर लक्षण थे। महाधमनी वाल्व पर था जो संकीर्ण होता जा रहा था। इसके परिणामस्वरूप वाल्व पूरी तरह से नहीं खुलता है, जिससे शरीर में रक्त का प्रवाह कम हो जाता है या अवरुद्ध हो जाता है। गंभीर मामलों में, एओर्टिक वाल्व स्टेनोसिस अचानक कार्डिएक अरेस्ट का कारण बनता है जो मौत का कारण बन सकता है। यह स्थिति आमतौर पर कोरोनरी आर्टरी डिजीज, स्ट्रोक और क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) जैसी बीमारियों से पीड़ित ६५ वर्ष से अधिक उम्र के बुजुर्गों में देखी जाती है। ६५ वर्ष से अधिक आयु की लगभग ०.५% से १% प्रतिशत आबादी कैल्सीफिक एओर्टिक वाल्व स्टेनोसिस से पीड़ित है।

डॉ. अनुप ताकसांडे ने कहा, ट्रांसकैथेटर एओर्टिक वाल्व रिप्लेसमेंट (टीएवीआर) कैथ लैब में की जाने वाली एक गैर-सर्जिकल प्रक्रिया है। यह प्रक्रिया हल्के एनेस्थीसिया के तहत की जाती हैं। यह घटनापूर्ण प्रक्रिया ३० मिनट तक चली और मरीज को एक दिन के लिए आईसीयू में स्थानांतरित कर दिया गया और १२ घंटे की प्रक्रिया के बाद उसे चलने दिया गया। उसे एक दिन के लिए वार्ड में स्थानांतरित कर दिया गया और फिर २ जनवारी २४ को स्थिर स्थिति में छुट्टी दे दी गई। मरीज १० दिनों के बाद फॉलो-अप के लिए आया। उसमें कोई लक्षण नहीं थे और उसे चक्कर या सांस फूलने की कोई शिकायत नहीं थी।

मरीज के बेटे सुजीत मिश्रा ने कहॉं की, “मेरी माँ को पहले स्ट्रोक और कार्डियक अरेस्ट हुआ था। लेकिन अब एओर्टिक वाल्व स्टेनोसिस के कारण हम काफी चिंतित हैं। यह नया साल उनके लिए एक नई शुरुआत का प्रतीक है क्योंकि वह टीएवीआर प्रक्रिया के कारण हमारी मॉं को नई जिंदगी मिली हैं। मैं डॉक्टरों का काफी आभारी हूं जिन्होंने मेरी मां की जान बचाई।” रोगी के पुत्र श्री सुजीत मिश्रा ने निष्कर्ष निकाला।

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